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________________ समवायांग-सूची “समवाय ८ २११ ६ सनत्कुमार कल्प के देवों की उत्कृष्ट स्थिति ७ माहेन्द्र कल्प के कुछ देवों की उत्कृष्ट स्थिति ८ ब्रह्मलोक कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ सम आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ सम आदि विमानवासी देवों क ाश्वासोच्छ्वास काल १ समआदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की सान भव से मुक्ति सूत्रसंख्या २३ अष्टम समवाय १ मदस्थान २ प्रवचन माता ३ व्यंतर देवों के चैत्यवृक्षों की ऊंचाई ४ जम्बूद्वीप के सुदर्शन वृक्ष की ऊंचाई ५ कूट शाल्मली-गरुड़ावास की ऊंचाई ६ जम्बूद्वीप-जगती की ऊंचाई ७ केवली समुद्घात के समय ८ भ० पार्श्वनाथ के गण ६ भ० पार्श्वनाथ के गणधर १० चन्द्र के साथ योग १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ पंकप्रभा के कुछ नै रयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ ब्रह्मलोक कल्प के कुछ देवों की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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