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________________ समवायांग-सूची २१० समवाय ७ ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ सनत्कुमार-माहेन्द्र कल्प के कुछ देवों की स्थिति ६ स्वयंभू आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ स्वयंभू अदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ स्वयंभू आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भबसिद्धिकों की छह भव से मुक्ति सूत्र संख्या १७ सप्तम समवाय १ भयस्थान २ समुद्घात ३ भ० महावीर की ऊँचाई ४ जम्बूद्वीप के वर्षधर पर्वत ५ जम्बूद्वीप के वर्ष-क्षेत्र ६ क्षीणमोह गुणस्थान में वेदने योग्य कर्म प्रकृतियाँ १ मघा नक्षत्र के तारे २ पूर्व दिशा के द्वार वाले नक्षत्र ३ दक्षिण दिशा के द्वार वाले नक्षत्र ४ पश्चिमदिशा के द्वार वाले नक्षत्र उत्तरदिशा के द्वार वाले नक्षत्र १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ वालुकाप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ पंक प्रभा के कुछ नैरयिकों को स्थिति ४ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ५ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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