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________________ समवाय ६ २०६ समवायांग-सूची ५ धनिष्ठा नक्षत्र के तारे १ वालुका प्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुर कुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के देवों की स्थिति ५ सनत्कुमार-माहेन्द्र कल्प के देवों की स्थिति ६ वात आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ वात आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ वात आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भवसिद्धिकों की पांच भव से मुक्ति सूत्र संख्या २२ षष्ठ समवाय १ लेश्या २ जीव-निकाय ३ बाह्य तप ४ आभ्यन्तर तप ५ छाद्मस्थिक समुद्घात ६ अर्थावग्रह १ कृतिका नक्षत्र के तारे २ अश्लेषा नक्षत्र के तारे १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ बालुकाप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुरकुमारों की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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