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________________ समवायांग-सूची २०८ समवाय ५.. २ पूर्वाषाढा नक्षत्र के तारे ३ उत्तराषाढा नक्षत्र के तारे १ रत्नप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति २ बालुकाप्रभा के कुछ नैरयिकों की स्थिति ३ कुछ असुरकुमारों की स्थिति ४ सौधर्म-ईशान कल्प के कुछ देवों की स्थिति ५ सनत्कुमार-माहेन्द्र कल्प के देवों की स्थिति ६ कृष्टि आदि विमानवासी देवों की स्थिति १ कृष्ठि आदि विमानवासी देवों का श्वासोच्छ्वास काल १ कृष्टि आदि विमानवासी देवों का आहारेच्छा काल १ कुछ भव सिद्धिकों की चार भव से मुक्ति सूत्र संख्या 15 पंचम समवाय १ क्रिया २ महाव्रत ३ कामगुण ४ आश्रव द्वार ५ संवर द्वार ६ निर्जरा स्थान ७ समिति ८ अस्तिकाय १ रोहिणी नक्षत्र के तारे २ पुनर्वसु नक्षत्र के तारे ३ हस्त नक्षत्र के तारे ४ विशाखा नक्षत्र के तारे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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