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स्थानांग-सूची
२०० श्रु०१, अ०१०, उ०१ सूत्र ७८३
७७७
७७८
७७३ दश प्रकार की तृणवनस्पतिकाय ७७४ क- विद्याधर श्रेणियों का विष्कम्भ
ख- अभियोग " " " ७७५ ग्रैवेयक विमानों की ऊंचाई ७७६ तेजोलेश्या से भष्म होने के दश प्रसंग
दश आश्चर्य रत्नप्रभा के रत्न काण्ड का बाहल्य
" " वज़ " " "
शेष १४ काण्डों का बाहल्य रत्न काण्ड के समान ७७६ क- सर्वद्वीप समुद्रों का उद्वेध
ख- सर्व महा द्रहों " " ... ग- '' कुण्डों " "
घ- सीता-सीतोदा नदियों के मुख मूल का उद्वेध ७८० क- चन्द्र के बाह्य मण्डल से दशवें चन्द्र मण्डल में भ्रमण करने
वाला नक्षत्र ख- " आभ्यंतर " " " " " , " ७८१ ज्ञान वृद्धि करने वाले दश नक्षत्र ७८२ क- स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय की कुल कोटी
ख- उरपरिसर्प " " " " " ७८३ क- दश स्थानों में पापकर्मों के पुद्गलों का त्रैकालिक चयन
" " " " उपचयन
बंध उदीरणा
,
,
,
वेदना
निर्जरा ख- दश प्रदेशी स्कंध
दश प्रदेशावगाढ पुद्गल दश समय की स्थितिवाले पुद्गल दश गुण काले पुद्गल-यावत्-दश गुण रुखे पुद्गल
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