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________________ श्रुतस्कन्ध उद्देशक १ उपलब्ध पाठ १६६७ श्लोक प्रमाण I ३ सागरदत्त ४ अशोक ललित ५ वराह ६ धर्मसेन ७ अपराजित ८ राजललित ह गद्य सूत्र १६० पद्य सूत्र ६० नव बलदेव, वासुदेव, प्रतिवासुदेव, परिचयाङ्कन पत्र बलदेव- पूर्वं वासुदेव-पूर्व पूर्वभव निदानभूमि निदान हेतु बलदेव भव भव धर्माचार्य १ विश्वनंदी २ सुबन्धु बासुदेव ॥ णमो गणहराणं ॥ द्रव्यानुयोग प्रधान समवायाङ्ग त्रिपृष्ट द्विपृष्ट स्वयंभू पुरुषोत्तम पुरुषसिंह पुरुषपुडरीक दत्त नारायण कृष्ण 9 विश्वभूमि संभूत पर्वतक धनदत्त समुद्रदत्त ऋषिपाल कृष्ण प्रियमित्र ललितमित्र पुनवसु गंगदत्त बल० वासु०पिता प्रजापति ब्रह्मा सोम रुद्र शिव महाशिव अग्निशिख दशरथ वसुदेव Jain Education International सुभद्र सुदर्शन श्रेयांस गंगदत्त आशाकर अध्ययन १ पद समुद्र द्रमसेन मथुरा कनकवस्तु श्रावस्ती पोतन १ लाख ४४ हजार राजगृह काकेंद्री कैशांबी मिथिला हस्तिनापुर बलदेव-माता भद्रा सुभद्रा सुप्रभा सुदर्शना विजय बैजयंती जयंती अपराजिता देहिणी गाय द्यत संग्राम स्त्री अचल विजय भद्र सुप्रभु रंग-पराजय सुदर्शन भार्यानुराग आनंद गोष्ठी नंदन परऋद्धि पद्म माता राम बासुदेव - माता प्रतिवासुदेव मृगावती अश्वग्रीव For Private & Personal Use Only उमा पृथ्वी सीता अमृता लक्ष्मीमति बलि शेषमति कैकेयी देवकी तारक मेरक मधुकैटभ निशुभ प्रह्लाद रावण जरासंघ www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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