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________________ ध्रु०१, अ०८, उ०१ सूत्र ६५१ १८६ स्थानांग-सूची ६४३ क- जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत से दक्षिण में महा हिमवंत वर्षधर पर्वत पर आठ कूट ख- , उत्तर में रूक्मि , , , ग- , पूर्व में रुचक पर्वत पर आठ कूट इन पर रहने वाली दिशा कुमारियों की स्थिति घ- जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से दक्षिण में रुचक पर्वत पर आठ कूट ङ- जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पश्चिम में रुचक पर्वत पर आठ कूट च- , उत्तर में ,, ,, इन पर रहने वाली दिशा कुमारियों की स्थिति छ- अधोलोक में आठ दिशा कुमारियां ज- उर्ध्वलोक में , , , ६४४ क- आठ कल्पों में तिर्यंच और मनुष्यों का उपपात ख- ॥ , आठ इन्द्र ग- ,, इन्द्रों के ,. पारियानिक विमान ___ अष्ट अष्टमिका भिक्षु प्रतिमा का परिमाण क- आठ प्रकार के संसारी जीव ख- ,, ,, ,, सर्व , ६४७ , का संयम । ६४८ आठ पृथ्वियां ख- ईषत् प्राग्भारा पृथ्वी के मध्यभाग की मोटाई ग- , , , , आठ नाम प्रमाद त्याग करके करने योग्य आठ शुभ कार्य ६५० महाशुक्र और सहस्रार कल्प में विमानों की ऊंचाई ६५१ भ० अरिष्ट नेमी के वाद-लब्धि सम्पन्न मुनि ६४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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