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स्थानांग-सूची
१८३ श्रु०१, अ०८, उ०१ सू० ५९७ ५६२ सात स्थानों में पाप कर्मों के पुद्गलों का त्रैकालिक चयन
उपचयन बंध उदीरणा वेदना
निर्जरा सात प्रदेशिक स्कन्ध ,, प्रदेशावगाढ़ पुद्गल ,, समय की स्थिति वाले पुद्गल " गुण काले पुद्गल-यावत्-सात गुण रूखे पुद्गल
५९३
सूत्र संख्या २३
अष्टम स्थान. एक उद्देशक ५६४ एकाकी विहार प्रतिमा के योग्य आठ प्रकार के अनगार ५६५ क- आठ प्रकार की योनियाँ
ख- अंडजों की आठ गतियाँ. आठ आगतियाँ " ग- पोतज , , , " "
घ- जरायुज,, ॥ ॥ " " ५६६ चौवीस दण्डकों में आठ कर्म प्रकृतियों का कालिक चयन
उपचयन बंध उदीरणा वेदना
निर्जरा ५६७ क- मायावी के आलोचना न करने के आठ कारण
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