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________________ ५३१ स्थानांग-सूची १७६ श्रु०१, अ०६, उ०१ सूत्र ५४० .५२७ निग्रंथ निग्रंथियों के छह अकल्प्य वचन ५२८ कल्प-साधु मर्यादा (प्रायश्चित्त) के छह प्रकार ५२६ कल्प के छह घातक छह प्रकार की कल्प स्थिति भ० महावीर की दीक्षा के पूर्व का तप " " " केवल ज्ञान से ,, ,, तप " , "निर्वाण से ,, ,, ,, ५३२ क- सनतकुमार और माहेन्द्र कल्प के विमानों की ऊंचाई ख- " " " देवों की ऊंचाई ५३३ क- भोजन का परिणाम छह प्रकार का . ख- विष " " " " ५३४ ६ प्रकार के प्रश्न ५३५ क. सभी इन्द्रस्थानों का उत्कृष्ट विरह काल ख- सातवीं नरक " " " ग- सिद्ध गति , " " आयुकर्म क- छह प्रकार का आयु-बंध ___ ख- चौवीस दण्डकों में-छह प्रकार का आयु-बंध ग- सोलह ,, ,, ,, माह पूर्व आगामी भव का आयु-बंध ५३७ छह प्रकार के भाव ५३८ , , का प्रतिक्रमण ५३६ छह तारे वाले नक्षत्र ५४० क- छह स्थानों में पाप कर्मों के पुदगलों का चयन उपचयन वंध उदीरणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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