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श्रु०१ अ०७ उ० १, सूत्र ५४५ १७७
स्थानांग-सूची छह स्थानों में पाप कर्मों की वेदना " " " निर्जरा छह प्रदेशिक स्कंध " प्रदेशावगाढ़ पुद्गल " समय की स्थितिवाले पुद्गल " गुण काले पुद्गल-यावत्-छह गुण रूखे पुद्गल सूत्र संख्या ६६ , सप्तम स्थान. एक उद्देशक गण से निकलने के सात कारण
सात प्रकार के विभंग ज्ञान क. " " की योनि (जीवोत्पत्ति के स्थान) ख- अंडज की सात गति. सात आगति ग- पोतज " घ- जरायुज" ङ- रसज " च- संस्वेदज" छ- संमूछिम"
ज- उद्भिज" ५४४ संघ व्यवस्था क- आचार्य और उपाध्याय के गण में सात संग्रह स्थान
" " " " "" असंग्रह " ५४५ क- सात पिण्डषणा
ख. " पाणैषणा ग- सात अवग्रह पडिमा घ- '' सप्तकक आचाराङ्ग श्रुतस्कन्ध दो. चूलिका दो में ङ- " महा अध्ययन सूत्रकृताङ्ग श्रुतस्कन्ध दो में च- सप्त सप्तमिका भिक्षु प्रतिमा का परिमाण
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