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श्रु०१, अ०६ उ०१ सू० ५०४ १७३
स्थानांग-सूची ख- छह प्रकार के कुल आर्य ४६८ , ,, की लोकस्थिति ६ क- छह दिशा ख- छह दिशाओं में जीवों की गति
" , , आगति " , , व्युत्क्रांति
का आहार की वृद्धि , हानि
,, विकूर्वणा ,, ,, गतिपर्याय ॥ ॥ " समुद्घात " , का काल-संयोग
,, दर्शन " , ज्ञान
,, ,, जीवाभिगम
, ,, ,, अजीवाभिगम ५०० क. निग्रंथ के आहार खाने के ६ कारण
ख- , ,, आहार न खाने,, ,,
उन्माद होने के ६ कारण ५०२ प्रमाद के ६ कारण ५०३ क- ६ प्रकार की प्रमाद प्रतिलेखना-धर्मोपकरणों को देखने में
आलस्य करना ख- ६ प्रकार की अप्रमाद प्रतिलेखना-धोपकरणों को देखने में
आलस्य न करना ५०४ छह लेश्या, दो (२०-२१वें) दण्डकों में
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