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________________ श्रु०१, अ०६, उ०१ सूत्र ४६७ १७२ स्थानांग-सूची ४८३ क-ग-छह प्रकार के सर्व जीव ४८४ ,, ,, तृण वनस्पतिकाय ४८५ , स्थान दुर्लभ ४८६ , इन्द्रियों के विषय ४८७ क- छह संवर ख-, असंवर ४८८ क- छह प्रकार का सुख ख- , , दुःख ४८६ , , प्रायश्चित्त ४६० क-ख-, के मनुष्य ४६१ क-ख-,, , , ४६२ क- अवसर्पिणी के छह आरा ख- उत्सर्पिणी ,, ,, ,, ४६३ क- जम्बूद्वीप के भरत-एरवत में----- १- अतीत उत्सर्पिणी के सुसमसुसमा आरा में मनुष्यों की ___ऊंचाई और आयु २- वर्तमान अवसर्पिणी के ,, , , ३- आगामी उत्सर्पिणी के ,, ,, , ख- जम्बूद्वीप के देवकुरु और उत्तर कुरु में-क-के समान पुनरावृत्ति ग- धातकी खण्ड द्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में-क-के समान पुनरावृत्ति ४६४ छह प्रकार के संहनन " , संस्थान ४६६ सकषाय आत्मा के ६ अहितकारी अकषाय ,,, हितकारी ४६७ क- छह प्रकार के जाति आर्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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