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पांच स्थानों में पाप कर्मों की
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श्रु० १, अ०६, उ० १ सूत्र ४८२
४७५
४७६
४७७
37
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ग- अप्
घ- तेजस्
ख- पंच प्रादेशिक स्कन्ध अनन्त
ग- पंच प्रदेशावगढ़ पुद्गल अनन्त यावत्-पांच गुण रुक्ष पुद्गल
अनन्त
सूत्र संख्या ३४
ङ - वायु च - वनस्पति
छ- त्रस
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षष्ठ स्थान एक उद्देशक
गण में रहने योग्य छह प्रकार के अणगार
निर्ग्रथ-निर्ग्रथी को छह कारण से सहारा दे सकता है। मृत साधमी के साथ निग्रंथ निर्बंथियों के छह व्यवहार
४७६
४८०
४८ १
छह प्रकार के ताराग्रह
४८२ क- छह प्रकार के संसारी जीव
ख- पृथ्वीकायिकों की छह गति,
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४७८ क- असर्वज्ञ ( छद्मस्थ ) धर्मास्तिकाय आदि छह को पूर्णरूप से
नहीं जानता
ख- सर्वज्ञ, धर्मास्तिकाय आदि छह को पूर्णरूप से जानता है
अशक्य छह कार्य
छह जीव- निकाय
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37
71
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12
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11
29
"
33
"
32
73
11
13
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11
छह आगति
11
"
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""
"
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उदीरणा
वेदना
निर्जरा
"
स्थानांग सूची
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