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श्र०१, अ०५, उ०२ सूत्र ४१६ १६५
स्थानांग-सूची अ- भ० मुनिसुव्रत के पांच कल्याणक ट- भ० नमि नाथ " " " ठ- भ० नेम नाथ " " " ड- भ० पार्श्व नाथ" " "
ढ़- भ० महावीर " " " सूत्र संख्या २३
द्वितीय उद्देशक ४१२ एक मास में दो-तीन वार पांच नदियों के लांघने का निषेध
अपवाद में उक्त नदियों के लांघने का विधान ४१३ क- प्रथम वर्षा होने पर विहार करने का निषेध, अपवाद में विधान
ख- वर्षावास में बिहार का निषेध, अपवाद में विहार का विधान ४१४ पांच गुरु प्रायश्चित्त ४१५ श्रमण निर्ग्रन्थ के अंत:पुर में प्रवेश करने के पांच कारण ४१६ क- पुरुष के साथ सहवास न करने पर भी गर्भधारण करने के
पाच कारण ख-ध-पूरुष के साथ सहयोग होने पर भी स्त्री के गर्भधारण न
करने के पांच कारण ४१७ क- निग्रंथ-निग्रंथियों के एक स्थान में ठहरने, एक स्थान में शयन
करने और एक स्थान में स्वाध्याय करने के पांच कारण ख- अचेलक निग्रंथ और सचेलक निग्रंथियों के साथ ठहरने के
पांच कारण ४१८ पांच आश्रव, पांच संवर, पांच दंड ४१६ क- सोलह दण्डकों में (केवल मिथ्यापियों में) आरंभिया आदि
पांच क्रियाएं ख- चौवीस दंडकों में काइया आदि पांच क्रियाएं ग- " " दिदिया " " क्रियाएं घ. " " नेसशिया " " "
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