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श्रु०१, अ०४ उ०४ सू० ३८६
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स्थानांग-सूची
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नरकायु बंध के चार कारण तिथंचायु , मनुष्यायु देवायु , , चार प्रकार के वाद्य
३७४
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, नृत्य ,, का संगीत
माल्य , के अलंकार
,, , का अभिनय ३७५ क- सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प के विमानों के चार वर्ण
ख. महाशुक्र और सहश्रार कल्प के देवों की ऊंचाई ३७६ क- चार प्रकार के उदक गर्भ
ख-, ३७७ " " का मानव ३७८ उत्पाद पूर्वके चार मूल वस्तु
चार प्रकार के काव्य ३८० नैरयिकों और वायुकायिकों में चार समुद्घात ३८१ भ० अरिष्ट नेमिनाथ के चौदह पूर्वी मुनि
भ० महावीर के वादलब्धि सम्पन्न मुनि ३८३ नीचे के चार कल्पों की संस्थिति
मध्य " " "
ऊपर " " " ३८४ विभिन्न रसवाले चार समुद्र ३८५ चार प्रकार के आवर्त, इसी प्रकार चार प्रकार का क्रोध
क्रोध करने वालों की गति ३८६ नक्षत्रों के तारे
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