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श्रु० १, अ० ४, उ०४ सूत्र ३४३ १५६
स्थानांग-सूची
३४०
ख- अधोलोक में अंधकार करने वाले चार तिर्यक्लोक में उद्योत ऊध्र्व " "
" " सूत्र संख्या २६
चतुर्थ उद्देशक
चार प्रकार के प्रवासी ३४१ नैरयिकों का चार प्रकार का आहार
तिर्यंचों मनुष्यों
देवों ३४२ चार प्रकार के आशिविष और उनकी शक्ति ३४३ क- चार प्रकार की व्याधियां
,, ,, चिकित्सा ख- लौकिक पक्ष-व्रण
लोकोत्तर पक्ष-अतिचार व्रण करने वाला, व्रण का स्पर्श करने वाला
अतिचार सेवन करने वाला, अतिचार का स्मरण करने वाला ग- लौकिक पक्ष-व्रण करनेवाला. व्रण की रक्षा करने वाला
लोकोत्तर पक्ष-अतिचार सेवन करने वाला, अतिचार सेवी का
संसर्ग न करने वाला घ- लौकिक पक्ष-व्रण करने वाला, व्रण का उपचार करने वाला
लोकोत्तर पक्ष-अतिचार सेवन करने वाला, अतिचार की प्रायश्चित्त से शुद्धि करने वाला
प्रत्येक के चार-चार प्रकार के पुरुष ङ- लौकिक व्रण-दृश्य व्रण
लोकोत्तर, व्रण. गुरु के समक्ष अतिचारों की आलोचना न करने वाला
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