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श्रु०१, अ०४, उ०३ सूत्र ३२७ १५४
स्थानांग-सूची ख- लौकिक, पक्ष-दरिद्र और धनवान चार भंग
लोकोत्तर पक्ष-ज्ञान रहित और ज्ञानवान ग- असम्यग् व्रति और सम्यग् व्रति घ- अपव्ययी-मितव्ययी ङ- दुर्गतिगामी और सुगतिगामी च- , प्राप्त प्राप्त छ- लौकिक पक्ष-अन्धकार और प्रकाश ।
लोकोत्तर पक्ष-अज्ञान , ज्ञान ज- लौकिक पक्ष-दुःशील , सुशील
लोकोत्तर पक्ष अज्ञानी ,, ज्ञानी झ- अज्ञानानंदी और ज्ञानानंदी
अज्ञानाभिमानी ,, ज्ञानाभीमानी ब- पाप कार्यों का त्यागी और पाप कर्मों का ज्ञानी-चार भंग ट- ,, ,, किन्तु गृहत्यागी नहीं ठ-,
ज्ञानी ड- इहलोक सुखैषी और परलोक सुखैषी, चौभंगी ढ- वृद्धी और हानी
ज्ञान-दर्शन की वृद्धि-हानी और राग-द्वेष की वृद्धि-हानी चार प्रकार के पुरुष लौकिक पक्ष-वेगवान् और वेग रहित लोकोत्तर पक्ष-गुणी और अवगुणी विनीत-अविनीत चार प्रकार के अश्व, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष श्रेष्ठता-जाति-कुल, जाति-बल, जाति-रूप, जाति-जय, कुल-बल, कुल-रूप, कुल-जय, बल-रूप, बल-जय, चार प्रकार के अश्व, इसी प्रकार चार प्रकार के पुरुष
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