________________
श्रु०१, अ०४, उ०२ सूत्र ३०७ १४६
स्थानांग-सूची
३०५ क- पाताल कलश
चार महापाताल कलश इन कलशों में चार देव. देवों की स्थिति ख- आवास पर्वत. देव. देवस्थिति
जम्बूद्वीप के लवण समुद्र में चार वेलंधर नागराज आवास पर्वत
इन पर रहने वाले चार देव, चारों देवों की स्थिति च- चन्द्र-सूर्य
१-लवण समुद्र में चार चन्द्र, चार सूर्य २- ,, , , कृतिका-यावत्-भरणी
अग्नि , यम
अंगार , भावकेतु ङ- समुद्र, देव, स्थिति लवण समुद्र के चार द्वार, इन द्वारों पर रहने वाले चार देव चारों देवों की स्थिति
द्वीप-विष्कम्भ क. धातकी खंड द्वीप की चौड़ाई ख. क्षेत्र आदि
जम्बूद्वीप के बाहर चार भरत-यावत्-(स्थानांग सूत्र स्था० २ उ० ५ सूत्र ६१-धातकी खंड द्वीप के पश्चिमाध के वर्णन में दो भरत-यावत्-दो मेरु. दो चूलिका) नंदीश्वर द्वीप क-नंदीश्वर द्वीप के मध्य भाग में चार अंजनक पर्वत. अंजनक पर्वतों की ऊंचाई, चौड़ाई अंजनक पर्वतों पर चार सिद्धालय सिद्धालय का आयाम-विष्काम्भ
के चार द्वार " ,, द्वारों पर चार देव
३०७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org