________________
m
४
,
"
8
w
स्थानांग-सूची
१४८ श्रु०१, अ०.४ उ०२ सूत्र ३०४ सर्व निषढ-नीलवंत वर्षधर पर्वतों की ऊँचाई ङ- वर्षधर पर्वत च- वक्षस्कार पर्वत१- जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व में और सीता नदी के उत्तर में
चार वक्षस्कार पर्वत दक्षिण में " " " पश्चिम में
, " उत्तर में
" " चार विदिशाओं में ,, , ६ ,, ,, महाविदेह में (तीन काल में) चार-चार
उत्तम पुरुषों की उत्पत्ति ७ , , मेरुपर्वत पर चार वन ८ ,, ,
अभिषेक शिलायें ६ मेरु पर्वत की उपर से चौड़ाई १० धातकी खंड द्वीप पूर्वाद्ध में-सूत्र ३०१ से ३०२ तक के समान ११ पुष्कर वर द्वीप के पश्चिमार्ध में-सूत्र ३०१ से ३०२ तक के समान जम्बूद्वीप के द्वार जम्बूद्वीप के चार द्वार. द्वारों की चौड़ाई. द्वारों पर रहने वाले चार देव. उनकी स्थिति (७) सूत्र अंतर्वीप के (एक जैसे) जम्बू द्वीप के मेरुपर्वत से चुल्ल हिमवंत वर्षधर पर्वत के चार विदिशाओं में (लवण समुद्र में) २८ अन्तर्वीप. उन अन्तरद्वीपों में रहने वाले मनुष्य. (७) सूत्र अंतर्वीप के (एक जैसे) जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के चार विदिशाओं में (लवण समुद्र में) २८ अन्तीप. उनमें रहने वाले मनुष्य
३०३
३०४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org