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स्थानांग-सूची
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श्रु०१,अ०४,उ०१ सू०२६९
२५६
२६०
ग- चार प्रकार के वायु कुमार २५७ चार प्रकार के देव २५८ , , , प्रमाण
की देवियां चार दिशा कुमारियाँ ,, विद्युत् ॥ देव स्थिति चार पल्योपम शकेन्द्र की मध्यम परिषद् के देवों की स्थिति
" , , , , देवियों , , २६१ चार प्रकार का संसार २६२ , , , दृष्टिवाद २६३ क-ख- चार प्रकार का प्रायश्चित्त २६४ , , , काल २६५ , , , पुद्गल परिणमन
चार महाव्रत भरत ऐरवत के बाईस तीर्थंकरों द्वारा चार महाव्रतों का कथन
महा विदेह के सर्व अरहंतों , , , " क- चार दुर्गति ख- , सुगति ग , दुर्गति प्राप्त जीव
घ- , सुगति , , २६८ क- अर्हन्तों के सर्व प्रथम (प्रथम समय में) चार घाति कर्मों का क्षय ख- सिद्धों , , ,
अघाति , २६६ हास्योत्पत्ति के चार कारण
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