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श्रु०१ अ०४ उ०२ सूत्र २७६
१४३
स्थानांग-सूची
२७४
२७५
२७० चार प्रकार की विशेषता, इसी प्रकार स्त्री अथवा पुरुष की
विशेषता २७१ ,,, के भृत्य २७२ ,, की लोकोत्तर पुरुष की विशेषता २७३ समस्त लोक पालों की अग्रमहिषियाँ
, इन्द्रों की चार गोरस की विकृतियां " स्नेह
, , महा ,
वस्त्रावृत देह या गुप्तेन्द्रिय क- चार प्रकार के घर, इसी प्रकार चार के पुरुष, वस्त्रावृत देह
या गुप्तेन्द्रिय ख- चार प्रकार की कूटागार शाला इसी प्रकार चार प्रकार
की स्त्रियां २७६ शरीर की अवगाहना
चार प्रकार की अवगाहना २७७ चार अंगबाह्य प्रज्ञप्तियाँ सूत्र संख्या ४३
द्वितीय उद्देशक २७८ कषाय निग्रह क- चार प्रति संलीन
" अप्रति संलीन
मन आदि का निग्रह ख- चार प्रति संलीन
" अप्रति संलीन २७६ (१७) चार चार प्रकार के पुरुष. दीन-अदीन
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