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श्रु०१, अ०३ उ०४ सू०२२८
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स्थानांग-सूची
तीन असंक्लिष्ट लेश्या छ- , मनोज्ञ ,
अमनोज्ञ , अविशुद्ध विशुद्ध अप्रशस्त ,
प्रशस्त ड-, शीत-रुक्ष ,
उष्ण-स्निग्ध ,,
प्रकार के मरण ख-, , , बाल मरण ग-, , , पंडित मरण
घ- ,, . , बाल-पंडित मरण २२३ क- अव्यवसित के लिए तीन अहितकारी
ख- व्यवसित , , हितकारी २२४ प्रत्येक पृथ्वी के तीन वलय २२५ उन्नीस दंडकों में तीन समय की विग्रहगति २२६ क्षीण मोह अरहंत के तीन कर्मप्रकृतियों का एक साथ क्षय २२७ क- अभिजित के तीन तारे
ख- श्रवण , " " ग- अश्विनी " , " घ- भरणी ॥ " " ङ- मृगशिर , च- पुष्य ,
छ- जेष्ठा २२८ भगवान् धर्मनाथ और भगवान् शांतिनाथ का अन्तर
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