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श्रु०१, अ०३, उ०४ सू०२०८ १३५
स्थानांग-सूची
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ख- सार्वदेशिक भूकम्प के तीन कारण १६६ क- तीन प्रकार के किल्विषिक देव
ख- किल्विषिक देवों का स्थान २०० क- शक्रेन्द्र के बाह्य परिषद् के देवों की स्थिति
ख- , आभ्यंतर , देवियों , ग- ईशानेन्द्र के बाह्य , " " क- तीन प्रकार का प्रायश्चित्त ख- अनुद्घातिकों को (गुरु) प्रायश्चित्त
, पारंचिक , ग- , अनवस्थाप्य , २०२ क- तीन शिक्षा के अयोग्य
ख- ,, मुंडित करने के ग- ,, शिक्षा
, घ-,, उपस्थापना , " ङ- ,, सहभोज , ,
च- , सहवास , २०३ क.ख-,, वाचना , ,
ग- , दुर्बोध्य
घ- ,, सुख बोध्य २०४ , मांडलिक पर्वत २०५ , परिमाण में सबसे महान २०६ क-ख-, प्रकार की कल्प स्थिति २०७ क- चौदह दंडकों में तीन शरीर
ख- सात , , , " २०८ क- तीन गुरु प्रत्यनीक
ख- , गति
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