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________________ स्थानांग सूची घ- तीन प्रकार की १६५ क- तीन प्रकार की १६६ १९७ ख ÉÉÉÉÉ ग घ ङ च छ ज झ ञ - 37 22 " 11 17 21 " 93 17 11 23 "" 22 " 37 33 73 27 21 17 Jain Education International "" 37 " 29 "1 11 13 23 अढाई द्वीप में तीन-तीन अकर्मभूमियां क- जम्बुद्वीप के मेरु से दक्षिण में तीन अकर्मभूमियाँ ख उत्तर " 31 23 31 ग- धातकीखंड द्वीप के पूर्वार्ध में मेरु से दक्षिण में घ पश्चिमार्ध में उत्तर में 27 दक्षिण में "3 11 "1 11 13 ङ - पुष्करवर द्वीपार्ध के पूर्वार्ध में च 33 27 " 21 1) 33 के संक्लेश 11 पश्चिमार्ध में उत्तर में 11 17 11 अढ़ाई द्वीप में तीन-तीन क्षेत्र - क-से-च-तक के समान 17 "" 29 १३४ श्रु० १, अ०३, उ०४ सूत्र १६८ विशुद्धि आराधना 32 ज्ञानाराधना दर्शनाराधना चारित्राधना असंक्लेश अतिक्रम व्यतिक्रम अतिचार अनाचार प्रायश्चित्त 33 27 23 17 13 " 33 वर्षधर पर्वत महाद्रह देव 17 १६८ क प्रादेशिक भूकम्प के तीन कारण महानदियां अंतरनदियां 27 For Private & Personal Use Only 17 31 27 31 "" 22 23 19 www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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