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श्रु० १, अ०३ उ०३ सू० १८३ १३१
ख- तीन कारणों से देवता उद्विग्न होता है १८० क- विमानों के तीन प्रकार के आकार
आधार
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१८३
ख
ग- तीन प्रकार के विमान
१८१ क- सोलह दंडकों में तीन दृष्टियां
ख- तीन प्रकार की दुर्गती
17
ग
सुगती
33
ङ
घ
ङ सुगति
दुर्गति प्राप्त तीन
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77
१८२ क- एक उपवास करने वाले को तीन प्रकार का पानी कल्पता है
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ख- दो ग- तीन
घ- तीन प्रकार का उपहृत ( वरतन में निकालकर रखे हुये भांजन को लेने का अभिग्रह )
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17
39
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च- तीन प्रकार का ऊनोदर तप
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ढ - एक रात्रि की
छ
उपकरण ऊनोदर तप
ज- निग्रंथ के लिये तीन अहितकारी कार्य
हितकारी
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77
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झ
ञ - तीन प्रकार के शल्य
ट- तेजोलेश्या की तीन प्रकार से साधना
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अगृहीत ( थाली में लिये हुए भोजन को लेने का अभिग्रह )
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ठ- त्रैमासिकी भिक्षु प्रतिमा की विधि
ड- एक रात्रिकी भिक्षु प्रतिमा की सम्यक् आराधना न करने से -
स्थानांग सूची
अढाई द्वीप में तीन-तीन कर्मभूमि क्षेत्र
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- होने वाली तीन विपदायें
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करने
संपदायें
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