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स्थानांग-सूची
१३० श्रु०१, अ०३ उ०३ सू०१७६ (२) तीन कारणोंसे मायावी आलोचना करता है-क-से-छ-तक के समान
१६६ तीन प्रकार के पुरुष १७० क- निग्रंथ-निग्रंथियों के कल्प्य वस्त्र तीन प्रकार के
ख- " " वस्त्र " १७१ वस्त्र धारण करने के तीन कारण १७२ क- आत्म रक्षा करने वाले तीन
ख. ग्लान निग्रंथ को पानी की तीन दत्ति-मात्रा-कल्पती है १७३ तीन कारणों से साधर्मि निग्रंथ को विसंभोगी करने पर
आज्ञा का उल्लंघन नहीं होता १७४. क- तीन प्रकार की अनुज्ञा (शास्त्र पढ़ने की आज्ञा)
" " समनुज्ञा " " " उपसंपदा (अन्य गण के आचार्य को आचार्य
मानना) " का विजहन (गण छोड़ना) १७५ क- तीन प्रकार के वचन
के अवचन ग. " के मन
के अमन १७६ क- अल्प वृष्टि के तीन कारण
ख- महा १७७ तीन कारणों से नवीन उत्पन्न देव इच्छा होते हुए भी
मनुष्य लोक में नहीं आसकता १७८ क- देवताओं की तीन कामनाएं
ख- तीन कारणों से देवता दु:खी होता है १७९ क- " "
च्यवन (मरण) को जान लेता है
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