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स्थानांग-सूची
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श्रु०१, अ०३ उ०३ सू०१६८
अग्राह्य अनर्ध अमध्य अप्रदेश
अविभाज्य दुःख के सम्बन्ध में तीन प्रश्नोत्तर दुःख की वेदना के सम्बन्ध में अन्य तीथियों का मन्तव्य और उसका निराकरण
१६६
१६७
सूत्र संख्या १५
तृतीय उद्देशक १६८- (१) तीन कारणों से मायावी आलोचना नहीं करता क- " " " प्रतिक्रमण
" निन्दा " गर्दा " बुरे विचारों का नाश "
" विशुद्धि
" योग्य प्रायश्चित्त स्वीकार " (२) तीन कारणों से आलोचना नहीं करता-क-से-छ-तक के समान
क-तीन कारणों से मायावी आलोचना करता है
प्रतिक्रमण म. , ,
निन्दा गर्दा बुरे विचारों का नाश करता है शुद्धि करता है योग्य प्रायश्चित्त स्वीकार करता है
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