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स्थानांग-सूची
श्रु०१, अ०३, उ०२ सूत्र १५४ १२५
पुर्णायु भोगनेवाले तीन
मध्यमायु
स्थूल तेउकाय की स्थिति
वायुकाय १४५ सुरक्षित शाली आदि धान्यों की स्थिति १४६ क- शर्करा प्रभा के नैरयिकों की उत्कृष्ट स्थिति ख- बालुका प्रभा,
जधन्य , १४७ क- धूम्रप्रभा के नरकावास
ख- प्रथम तीन नरकों में तीन प्रकार की वेदना १४८क-ख- लोक में तीन समान १४६ क- तीन समुद्र विभिन्न प्रकार के पानी वाले हैं
ख-,, मच्छ-कच्छों से परिपूर्ण हैं १५० क- सातवीं नरक में उत्पन्न होने वाले तीन
ख- सर्व सिद्ध में , , १५१ क- ब्रह्म लोक और लातंक कल्प के विमानों के तीन वर्ण - ख- आनत आदि चार देवलोक के देवों की ऊंचाई १५२ तीन प्रज्ञप्तियाँ (आगमों के नाम) सूत्र संख्या ३३
द्वितीय उद्देशक १५३ क- तीन प्रकार के भाव लोक
क- " " भाव लोक
ग- " " लोक १५४ क- चमरेन्द्र की
तीन परिषद् चमरेन्द्र के सामानिक देवों की
त्रायंशिक लोकपालों की
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