________________
श्रु०१, अ०३, उ०१ सूत्र १४३ १२४
स्थानांग-सूची भरत में तीन तीर्थ ऐरवत , महाविदेह के प्रत्येक चक्रवर्ती विजय में तीन तीर्थ धातकी खंड द्वीप के पूर्वार्ध में-तीन तीर्थ
, पश्चिमार्ध पुष्कर वर द्वीपा के पूर्वार्ध में ,
, पश्चिमाई , १४३ अढाई द्वीप में काल-मान क- जम्बुद्वीप में अतीत उत्सपिणी के सुषमा का परिमाण , वर्तमान अवसर्पिणी ,
आगामी उत्सर्पिणी धातकी खंड द्वीप के पूर्वार्ध में-क-के समान
, पश्चिमाधु पुष्करवर द्वीपार्ध के पूर्वार्ध . ,
, पश्चिमाध , ख- अढाई द्वीप में मनुष्यों का शरीरमान ग- जम्बुद्वीप के भरत ऐरवत में अतीत उत्सर्पिणी में सुषम-सुषमा
___काल के मनुष्यों का शरीरमान वर्तमान अवसर्पिणी में ,
आगामी उत्सर्पिणी में , जम्बुद्वीप के देवकुरु और उत्तर कुरु में मनुष्यों का शरीरमान
की परमायु छ- धातकी खंड द्वीप के पूर्वार्ध में-क-से-घ के समान
पश्चिमार्ध झ- पुष्करवर द्वीपार्ध के पूर्वार्ध ब- , , पश्चिमार्ध
अढाई द्वीप में तीन बंशों की त्रैकालिक उत्पत्ति
ज-,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org