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स्थानांग-सूची
१२६ श्रु०१, अ०३. उ०२ सूत्र १६० अग्रमहिषियों की तीन परिषद् ख- शेष भवनेन्द्रों की परिषदायें-क-के समान ख- सर्व व्यंतरेन्द्रों " "
ङ- सर्व वैमानिकेन्द्रों १५५ क- तीन याम
ख- केवली कथित धर्म का श्रवण-यावत्-छ सूत्र मतिज्ञान-यावत्
केवल ज्ञान की प्राप्ति तीन याम में होती है ग- तीन वय घ- ख-के समान-तीन वय में होती है क- तीन प्रकार की बोधी ख- " " के बुद्ध ग- " " का मोह
" के मूर्ख १५७ क- घ-तीन प्रकार की प्रवज्या
तीन प्रकार के निग्रंथ संज्ञोपयोग रहित हैं ख- " " "
सहित और रहित भी हैं १५६ क- नवदीक्षित को छेदोपस्थापनीय चारित्र देने का समय
तीन प्रकार का
ख- तीन प्रकार के स्थविर १६० क- मन के तीन विकल्प. तीन प्रकार के पुरुष ख- गमन क्रिया
अतीत काल " वर्तमान" " " "
भविष्य " ग- गमन क्रिया का निषेध, तीन प्रकार के पुरुष
अतीत काल वर्तमान "
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