________________
स्थानांग-सूची
११८ श्रु०१, अ०२ उ०४ सू०१०६ ६६ दो प्रकार का औपमिक काल १०० चौवीस दण्डकों में दो प्रकार का क्रोध-यावत्-मिथ्यादर्शन शल्य १०१ क- दो प्रकार के संसारी जीव
ख- " " " सर्व " ग." " " " " के १४ सूत्र
भ० महावीर ने दो दो मरणों का निषेध किया है क- मरण निषेध के ५ सूत्र ख- कारण से दो प्रकार के मरण का विधान ग- पादोपगमन मरण दो प्रकार का है
घ- भक्त प्रत्याखान " " " " १०३ क. लोक दो प्रकार का है
ख-" में अनंत दो हैं
ग. " शास्वत "" १०४ क- बोधी दो प्रकार की
ख- बुद्ध " के ग- मोह " का घ- मूढ़
ज्ञानावरणीय कर्म दो प्रकार का ख- दर्शनावरणीय " ग- वेदनीय घ- मोहनीय ङ. आयु च- नाम छ- गोत्र
ज- अंतराय १०६ क- मूर्छा दो प्रकार की
ख- प्रेम मूर्छा "
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org