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________________ श्रु०१, अ० २, उ० ३ सूत्र ८८ ११४ स्थानांग-सूची ग- जम्बुद्वीप में दो दो समान कूट चुल्ल (छोटा) हिमवत वर्षधर पर्वत पर दो कूट महा हिमवंत वर्षधर पर्वत पर दो कूट निषध , " नीलवंत " " रूक्मी , " शिखरी क- जम्बुद्वीप में दो दो समान महा द्रह १ सूत्र-चूल्ल हिमवंत वर्षधर पर्वत पर दो महा द्रह शिखरी , दो-दो देव इन द्रहों पर पल्योपम स्थिति वाले दो दो देव १ सूत्र–महा हिमवंत वर्षधर पर्वत पर दो महा द्रह रुक्मी दो दो देव इन द्रहों पर पल्योपम स्थिति वाले दो दो देव १ सूत्र-निषध वर्षधर पर्वत पर दो महाद्रह नीलवंत दो दो देव इन द्रहों पर पल्योपम स्थिति वाले दो दो देव ख- जम्बुद्वीप में दो-दो नदियां महा हिमवंत वर्षधर पर्वत के महाद्रह से निकल ने वाली दो नदियां निषध तिगिच्छ नीलवंत केसरी महा पौंडरिक ग- जम्बुद्वीप के दो दो समान प्रपात द्रह रुक्मी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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