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________________ स्थानांग-सूची ११३ श्रु०१, अ०२, उ०३ सूत्र ८७ दो प्रकार का कालायु , भवायु " के कर्म , का पूर्णायु परिवर्तन वाला आयु ८६ जम्बुद्वीप में-दो-दो समान क्षेत्र ३ सूत्र—मेरु पर्वत से उत्तर दक्षिण में दो-दो क्षेत्र १ सूत्र- , पूर्व-पश्चिम में १ सूत्र- , उत्तर-दक्षिण में दो समान वृक्ष - १ सूत्र--दो कुरुओं में दो वृक्ष दो देव १ सूत्र–दो वृक्षों पर पल्योपम स्थिति वाले दो देव ८७ क- जम्बुद्वीप में-दो दो समान वर्षधर पर्वत ३ सूत्र-मेरपर्वत से उत्तर-दक्षिण में दो दो वर्षधर पर्वत १ सूत्र , , दो वृत्तवैताढ्य पर्वत दो दो देव १ सूत्र–वृत्त वैताढ्य पर्वतों पर पल्योपम स्थिति वाले दो दो देव ख- जम्बुद्वीप में-दो दो समान वक्षस्कार पर्वत १ सूत्र-मेरुपर्वत से दक्षिण में दो वक्षस्कार पर्वत १ सूत्र-- , उत्तर जम्बुद्वीप में दो दो समान दीर्घ वैताढ य पर्वत २ सूत्र--मेरुपर्वत से उत्तर-दक्षिण में दो दो दीर्ध वैताढय पर्वत, दो दो समान गुफा २ सूत्र-दो दीर्घ वैताढय पर्वतों पर दो दो समान गुफा दो दो देव २ सूत्र-इन गुफाओं में पल्योपम स्थितिवाले दो दो देव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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