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सूत्रकृतांग-सूची
१२ श्रु०२ अ०५ उ०१ गाथा १६ उत्तर- वे छ काय की हिंसासे एवं पापों से विरत नहीं हैं, वधक का
दृष्टान्त ६५ प्रश्न- जो प्राणी अदृष्ट या अश्रुत है, उनके साथ वैर किस प्रकार
हो सकता है ? ६६उत्तर- संज्ञी और असंज्ञी का दृष्टान्त ६७ प्रश्न- मनुष्य संयत, विरत आदि गुण-सम्पन्न किस प्रकार
हो सकता है ? ६८उत्तर- छ काय की हिंसासे विरत भिक्षु एकान्त पंडित है, सूत्र संख्या ६
पंचम आचार श्रुत अध्ययन
प्रथम उद्देशक गाथांक
अनाचार सेवन न करने का उपदेश २-५ जगत के संबंध में एकान्त वचन का प्रयोग न करना
एकेन्द्रिय तथा पंचेन्द्रिय की हिंसा के सम्बन्ध में एकान्त वचन
का प्रयोग न करना ८.६ आधाकर्म आहार सेवी के १०-११ औदारिकादि शरीरों के
लोक और अलोक का अभाव नहीं किन्तु अस्तित्व है जीव और अजीव का अर्म और अधर्म का बन्ध और मोक्ष का पुण्य और पाप का आश्रव और संवर का वेदना और निर्जरा का क्रिया और अक्रिया का
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