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श्रु०२, अ०३ उ०१ सू०६४ ६१
सूत्रकृतांग-सूची पृथ्वी योनिक वृक्ष, वृक्ष योनिक वृक्ष और वृक्ष योनिक मूलइस प्रकार सबके ३-३ विकल्प हैं, पाँच प्रकार के मनुष्य, इनकी उत्पत्ति, आहार और शरीर जलचर जीवों की उत्पत्ति, आहार और शरीर स्थलचर ,, , उरपरिसर्प , , , , , भूजपरिसर्प ,
" " " खेचर , , नाना प्रकार की योनियों में पैदा होने वाले जीवों की उत्पत्ति आहार और शरीर वायु योनिक अप्काय में विविध प्रकार के जीवों की उत्पत्ति
आहार और शरीर ६० क- त्रस-स्थावर जीवों के शरीरों में अग्निकाय की उत्पत्ति
आहार और शरीर , ख- , , , वायुकाय की ,
, , , पृथ्वीकाय की , सर्व प्राण, भूत, जीव और सत्वों की अनेक योनियों में ,, इन जीवों की उत्पत्ति आहार और शरीरों का ज्ञाता मुनि
आहारगुप्त आदि गुणों का धारक बने सूत्र संख्या २०
याख्यान अध्ययन
प्रथम उद्देशक
अप्रत्याख्यानी आत्मा द्वारा सर्वदा पापकर्मों का उपार्जन ६४ प्रश्न- अव्यक्त विज्ञान वाले प्राणी पापकर्मों का उपार्जन कैसे
करते हैं ?
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