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श्रु०२, अ०६, उ०१ गाथा ४२६३
सूत्रकृतांग-सूची
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___ क्रोध और मान का अभाव नहीं किन्तु अस्तित्व है
माया और लोभ का राग और द्वेष का चार गति वाले संसार का देव और देवी का सिद्धि और असिद्धि का सिद्धि स्थान का
साधु और असाधु का २५-२६ कल्याण और पाप का ३० ' जगत् और प्राणियों का
साधुता के सम्बन्ध में सही दृष्टि रखने का उपदेश दान की प्राप्ति के सम्बन्ध में सही दृष्टि रखने का उपदेश मोक्ष पर्यन्त जिनोपदिष्ट धर्म की आराधना
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षष्ठ आर्द्रकीय अध्ययन
प्रथम उद्देशक गाथांक १-२६ गोशालक आर्द्रकुमार संवाद
भ० महावीर के सम्बन्ध में गोशालक के आक्षेप
आक्षेप के विषयक- भ० महावीर पहले एकचारी थे अब अनेकचारी हैं ख. धर्मोपदेश-भ० महावीर की आजीविका है ग- महावीर डरपोक हैं घ- महावीर लाभार्थी वैश्य जैसा है
आर्द्र कुमार द्वारा आक्षेपों का समाधान २७-४२ शाक्य भिक्षुओं के साथ आर्द्र कुमार का संवाद
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