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________________ श्रु०२, अ०१, उ०१ सू० ११ ८६ सूत्रकृतांग-सूची ५ पद्मवर पुंडरिक ५ राजा प्रमुख पुरुष ६ पंक निमग्न चार पुरुष ६ भोग पंक निमग्न चार तीथिक ७ तट ७ उत्तम धर्म ८ तट स्थित पाँचवाँ पुरुष ८ धर्म तीर्थ ६ शब्द ९ धर्म कथा १० पुंडरीक का बाहर आना १० निर्वाण राजा, राजसभा, धर्मोपदेश, देहात्मवादी द्वारा देहात्मवाद का प्रतिपादन, आत्मा और शरीर को भिन्न-भिन्न दिखाने के लिए युक्ति युक्त प्रश्न शरीर के प्रतीक आत्मा के प्रतीक १ कोश १ असि २ मुँज २ शलाका ३ माँस ३ अस्थि ४ करतल ४ आमलक ५ दधि ५ नवनीत ६ तिल ६ तेल ७ इक्षु ७ रस ८ अरणि ८ अग्नि क्रिया, अक्रिया, सुकृत, दुष्कृत आदि का निषेध देहात्मवादी शाक्य श्रमण का विषयभोगमय जीवन राजा, राजसभा, धर्मोपदेशक, पंचमहाभूतवादी द्वारा पंच महाभूतवाद का प्रतिपादन, क्रिया-अक्रिया, सुकृत-दुष्कृत आदि का निषेध पंचमहाभूतवादी श्रमण का भोगमय जीवन राजा, राजसभा, धर्मोपदेशक, ईश्वर कारणिकवादी द्वारा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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