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________________ सूत्रकृतांग-सूची ८५ श्रु०२, अ०१, उ०१ सू० ८ xww - षोडश गाथा अध्ययन प्रथम उद्देशक अनगार के चार पर्याय माहण श्रमण भिक्षु और निग्रंथ. माहण की व्याख्या श्रमण की व्याख्या भिक्षु की व्याख्या निग्रंथ की व्याख्या सूत्र संख्या ४ द्वतीय श्रुत स्कन्ध प्रथम पुंडरीक अध्ययन प्रथम उद्देशक पुष्करिणी (वापिका) में अनेक कमल, मध्यभाग में एक पद्मवर पुंडरीक पुंडरीक के उद्धार के लिए पूर्व दिशा से प्रयत्नशील प्रथम पुरुष दक्षिण " " द्वितीय " पश्चिम " " तृतीय " चतुर्थ " का केवल आह्वान से उद्धार करने वाला पंचम " भ० महावीर द्वारा निर्ग्रथ-निग्रंथियों को निमंत्रण और उनके सामने दृष्टांत के भाव का कथन ___ दृष्टांत और दार्धान्तिक १ पुष्करिणी १ मनुष्य लोक २ उदक २ कर्म ३ पंक ३ विषय भोग ४ नाना प्रकार के कमल ४ नाना प्रकार के मनुष्य उत्तर " , Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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