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________________ श्रु०१, अ०१०, उ०१ गाथा ११ ७८ सूत्रकृतांग-सूची اس نسل ته له له ننه ننه विषयों में अनाशक्ति-भिक्षाचरी में अप्रमाद और उपसर्ग सहने का उपदेश वध परीषह गुरुजनों से इच्छा निरोध सीखना योग्य गुरु की उपासना गृहवास में सम्यग् ज्ञान साधना संभव नहीं अतः प्रव्रज्या का उपदेश अनासक्ति, असावध अनुष्ठान और सर्व अनाचारों का निषेध मोक्ष पर्यंत कषाय का त्याग दशम समाधि अध्ययन प्रथम उद्देशक गाथांक धर्म श्रवण के लिए प्रेरणा, निदान और हिंसा का निषेध,संयम पालन प्राणातिपात विरमण तथा अदत्तादान विरमण का उपदेश आश्रव का निषेध और धन धान्य संचय का निषेध स्त्री परित्याग का उपदेश बालजीव का भव भ्रमण भाव समाधि और प्राणातिपात विरति का उपदेश समत्व का उपदेश, पूजा प्रतिष्ठा के इच्छुक और उपसर्ग पीड़ित का संयम से पतन आधाकर्म आहार और स्त्री का त्याग हिंसक की दुर्गति । धन संचय, आसक्ति तथा पापकथा का निषेध. विवेकपूर्ण भाषण का उपदेश आधाकर्म आहार का निषेध Gme <ww m 22 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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