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- सूत्रकृतांग-सूची
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२४
गाथांक
१-२
३-६
७-१२
१३ - १५
१६
१७- २१
७६ श्रु०१, अ०११, उ०१ गाथा २१
एकत्व भावना
मैथुन और परिग्रह से निवृत्त को ही समाधि भाव की प्राप्ति
परीषह सहन
वचन गुप्ति और शुद्ध लेश्या रखने का उपदेश,
और स्त्री- सम्पर्क निषेध
अक्रियावाद से मोक्ष कहने वाले धर्मज्ञ नहीं है
विश्व में कई क्रियावादी, कई अक्रियावादी और कई बालक की
बलि देने वाले हैं अर्थासक्त व्यक्ति
अशरण भावना
जिस प्रकार मृग सिंह से दूर रहता है, इसी प्रकार धार्मिक व्यक्ति को पाप से दूर रहना चाहिये
अहिंसा का उपदेश
मृषावाद निषेध
गृह निर्माण
संदोष आहार, परिग्रह और यशः कीर्ति की कामना का निषेध निरपेक्ष होने का उपदेश. शरीर का ममत्व, निदान, जन्म-मरण की आशा का त्यागी मुक्त होता है
एकादश मार्ग अध्ययन : प्रथम उद्देशक
मोक्ष मार्ग के लिये प्रश्न
सुनने के लिए प्रेरणा
छकाय की रक्षा के लिये विरति का उपदेश
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पिण्डैषणा, आधाकर्म आहार का निषेध
उपाश्रय का निर्माण कराने के लिये अनुमति न देना दान-पुण्य के कार्यों में विधि-निषेध का प्रयोग न करना, विधि - निषेध के प्रयोग से होने वाली हानियां
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