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________________ परिशिष्ट ५ निक्षिप्त शब्द अंग (अङ्ग) अग्ग (अग्र) अजीव (अजीव) अज्झयण (अध्ययन) अज्झीण (अक्षीण) अणगार (अनगार) अद्द (आई) अप्पमाद (अप्रमाद) अल (अल) अवाय (अपाय) अहिंसा (अहिंसा) आजाइ (आजाति) आदाण (आदान) आदि (आदि) आय (आय) आयार (आचार) (उनि १४४-५६, आनि २) उवासग (उपासक) (दनि ३५-३७) (आनि ३०५, ३०६) उसुयार (इषुकार) (उनि ३५३, ३५४) (उनि ५४६, ५४७) एक्क (एक) (दशनि ८, १९१, उनि (दशनि २५॥२, ३०, १४२, ३७३) उनि ५-११, ५३८, ५३९, एक्कग (एकक) (उनि १४२, ३७३) सूनि १४३) एसणा (एषणा) (दशनि २१७१, (उनि ५) २१८।२,३,४) (उनि ५४१, ५४२) कड (कृत) (सूनि ४) (सूनि १८५-८७) कम्म (कर्मन्) (उनि ५२२-२४, आनि (उनि १७३, ४९९) १९३,१९४) (सूनि २०२) करण (करण) (उनि १७७-९७, सूनि ४-१४) (दशनि ५१-५३) कविल (कपिल) (उनि २४३,२४४) __ (दशनि ४२) कसाय (कषाय) (आनि १९१) (दनि १२९, १३०) काम (काम) (दशनि १३७-३९, (सूनि १३२) उनि २००) (सूनि १३४-३६) कारग (कारक) (सूनि ४) (दशनि २९, उनि ५) काल (काल) (दशनि १०) (दशनि १५४-६१, उनि किरिया (क्रिया) (सूनि १६७) ४७९, ४८०, आनि ५, केसि (केशिन्) (उनि ४४७) सूनि १८२) खंध (स्कन्ध) (सूनि २३) (सूनि १७०, १७१) खलुंक (दे.) (उनि ४८२, ४८३) (सूनि ५५) खुड्डुग (दे) (उनि २३०, ४१६) (आनि ३२८-३३०) खुल्लय (दे.) (दशनि १५३, उनि २३०) (आनि ३३९-४२) गइ (गति) (दशनि १०९-११) (आनि २००) गणि (गणिन्) (दनि २५) (उनि १-३) गति (गति) (उनि ४९५,४९६,५०७,५४३) (उनि २३८, २३९) गहण (ग्रहण) (सूनि १३२) (आनि ४७-४९) गाधा (गाथा) (सूनि २३,१३७,१३८) (आनि ३००-३०२) गुण (गुण) (आनि १७९) (दशनि ५७, ५८) गोतम (गौतम) (उनि ४४५-४७) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org आहार (आहार) इत्थी (स्त्री) इरिया (ई) उग्गह (अवग्रह) उण्ह (उष्ण) उत्तर (उत्तर) उरब्भ (उरभ्र) उवसग (उपसर्ग) उवहाण (उपधान) उवाय (उपाय) Jain Education International
SR No.001929
Book TitleNiryukti Panchak Part 3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages856
LanguagePrakrit, Hind
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, G000, & G001
File Size15 MB
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