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उत्तराध्ययननियुक्ति
तेवीसवां अध्ययन : केशि- गौतमीय
४४५,४४६. गौतम शब्द के चार निक्षेप हैं-नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव । द्रव्य के दो भेद हैं-आगमतः, नो-आगमतः । नो-आगमतः के तीन भेद हैं—ज्ञशरीर, भव्यशरीर और तद्व्यतिरिक्त । तद्व्यतिरिक्त के तीन भेद हैं- एकभविक, बद्धायुष्क और अभिमुखनामगोत्र ।
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४४७,४४८. गौतम नाम, गोत्र का वेदन करता हुआ भावगोतम होता है । इसी तरह केशी के भी चार निक्षेप होते हैं । गौतम और केशी के संवाद से समुत्थित इस अध्ययन को केशगौतमीय कहा गया है ।
४४९-५१. शिक्षाव्रत, लिंग वेप, शत्रुपराजय, पाशावकर्तन, तंतुबन्धन- उद्धार - तृष्णाक्षय, अग्नि-निर्वापन, दुष्ट का निग्रह, पथ- परिज्ञान, महास्रोतनिवारण, संसार-पारगमन, तम का विघातन, स्थानोपसंपदा - ये केशी और गौतम के बारह चर्चनीय विषय थे ।
चौबीसवां अध्ययन : प्रवचनमाता
४५२, ४५३. प्रवचन शब्द के चार निक्षेप हैं-नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव । द्रव्य के दो भेद हैं - आगमतः, नो-आगमतः । नो-आगमतः के तीन भेद हैं- ज्ञशरीर, भव्यशरीर तद्व्यतिरिक्त । तद्व्यतिरिक्त में कुतीर्थिक आदि का ग्रहण होता है । भावप्रवचन में द्वादशांग का समावेश है । इसे गणिपिटक भी कहा जाता है I
४५४-५६, मातृ शब्द के चार निक्षेप हैं - नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव । द्रव्य के दो भेद -आगमतः, नो-आगमतः । नो-आगमतः के तीन भेद हैं-ज्ञशरीर, भव्यशरीर और तद्व्यतिरिक्त । द्रव्यमात है— भाजन में द्रव्य अर्थात् मोदक आदि । समितियां आदि को भावमात कहा जाता है । इनमें द्वादशांग रूप प्रवचन समाविष्ट है इसलिए इस अध्ययन का नाम प्रवचनमाता है ।
पच्चीसवां अध्ययन : यज्ञीय
४५७-५९. यज्ञ शब्द के चार निक्षेप हैं- नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव । द्रव्य के दो भेद हैं-आगमतः, नो-आगमतः । नो-आगमत: के तीन भेद हैं- ज्ञशरीर, भव्यशरीर और तद्व्यतिरिक्त । तद्व्यतिरिक्त में ब्राह्मण आदि के यज्ञ आते हैं । तप, संयम का अनुष्ठान और आदर करना भावयज्ञ है । विजयघोष की यज्ञक्रिया में जयघोष अनगार आए । यज्ञ से समुत्थित होने के कारण इस अध्ययन का नाम 'यज्ञीय' हो गया ।
४६०, ४६१. वाराणसी नगरी में काश्यपगोत्रीय दो विप्र थे । उनके पास धन और स्वर्ण का विपुल कोष था । वे षट्कर्मरत थे और चारों वेदों के ज्ञाता थे । उन दोनों जुड़वां भाइयों में परस्पर बाह्य प्रीति और आंतरिक अनुरक्ति थी। एक का नाम जयघोष और दूसरे का नाम विजयघोष था । वे आगमकुशल और स्वदाररत थे ।
४६२-६७. एक दिन जयघोष गंगानदी पर स्नान करने गया। वहां उसने देखा कि सर्प मेंढक को निगल रहा है और सर्प को कुरर पक्षी ने पकड़ रखा है। सर्प को भूमि पर गिराकर उस पर
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