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________________ ८ १६०. १६१-१६३. १६३ / १ - १२. १६४. १६५. १६६. १६७ - १७४. १७४/१. १७५. १७६-१७८. १७९. १८०, १८१. १८२ - १८६. १८६/१-२५. १८७-१९०. १९१. १९२. १९२/१-४. १९३. १९४. १९४/१. १९५. १९६. १९७. १९८. १९९. २००. २०१. २०२. २०३. २०३/१-३. २०३/४-७. Jain Education International तीर्थंकरों का प्रत्याख्यान एवं सामायिक आदि संयम । तीर्थंकरों का छद्मस्थ- काल । तीर्थंकरों की ज्ञानोत्पत्ति का नक्षत्र एवं तिथि । तीर्थंकरों की ज्ञानोत्पत्ति का स्थान । तीर्थंकरों की ज्ञानोत्पत्ति का समय । ज्ञानोत्पत्ति के समय तीर्थंकरों का तप । तीर्थंकरों की शिष्य-संपदा । तीर्थंकरों के श्रावक आदि का प्रथमानुयोग में निर्देश । सभी तीर्थंकरों के तीर्थ की स्थापना प्रथम समवसरण में, महावीर की द्वितीय समवसरण में। किस तीर्थंकर के कितने गण ? तीर्थंकरों के गणधरों की संख्या । तीर्थंकर के धर्मोपाय का स्वरूप । तीर्थंकरों की दीक्षा - पर्याय का काल । तीर्थंकरों के कुमारकाल एवं राज्यकाल का उल्लेख । तीर्थंकरों का आयुष्य - काल । निर्वाण के समय किस तीर्थंकर के कितनी तपस्या ? तीर्थंकरों का निर्वाण-स्थल । तीर्थंकरों के साथ कितने-कितने व्यक्तियों का निर्वाण । सभी तीर्थंकरों का वर्णन प्रथमानुयोग से ज्ञातव्य । ऋषभ का समुत्थान तथा मरीचि का उत्थान आदि......... । ऋषभ से सम्बन्धित द्वारगाथा । ऋषभ की दीक्षा कब ? कहां ? ऋषभ के साथ प्रव्रजित चार हजार मुनियों का संकल्प । ऋषभ का घोर अभिग्रह और विहारचर्या । नमि - विनमि को राज्य एवं विद्यादान । भगवान् का वर्षीतप और भिक्षार्थ घर-घर में गमन । तीर्थंकरों की प्रथम भिक्षा कब ? तीर्थंकरों के पारणक में प्राप्त द्रव्यों का उल्लेख । प्रथम पारणक के समय देवों द्वारा दिव्यवृष्टि एवं दिव्यघोष । ऋषभ का प्रथम पारणक एवं अनेक विधियों का प्रारम्भ । तीर्थंकरों के प्रथम पारणक के नगर । तीर्थंकरों के प्रथम दानदाताओं के नाम । आवश्यक निर्युक्ति For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001927
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages592
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_aavashyak
File Size11 MB
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