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________________ आवश्यक नियुक्ति १३७/२. १३७/३. १३७/४. १३७/५. १३७/६. १३७/७. १३७/८. १३७/९. १३७/१०, ११. १३७/१२, १३. १३७/१४. १३७/१५, १६. १३८-१४१. १४१/१. १४२-१४५. १४६, १४७. १४७/१, २. १४७/३-७. १४७/८. १४७/९. १४७/१०. १४८,१४९. १४९/१. १५०. १५१. १५२-१५४. १५५. १५६. जन्म के समय दिक्कुमारियों का कर्त्तव्य। ऋषभ द्वारा अंगुष्ठपान का उल्लेख। शक्र द्वारा इक्ष्वाकु वंश की स्थापना तथा इक्ष्वाकु का निर्वचन । ऋषभ का बचपन। ऋषभ का शरीर-सौन्दर्य। ऋषभ का जातिस्मरण ज्ञान। एक यौगलिक के बालक की अकाल मृत्यु। ऋषभ का विवाह। ऋषभ की संतान। नीति का अतिक्रमण होने पर ऋषभ का राज्याभिषेक। अयोध्या का विनीता नामकरण क्यों? ऋषभ का उग्र, भोग आदि चार प्रकार का राज्य-संग्रह। ऋषभ द्वारा शिल्प, गणित, व्यवहार आदि लोकस्थिति एवं कलाओं का प्रवर्तन । पांच शिल्प तथा उनके भेद-प्रभेद। तीर्थंकरों का संबोधन, गृहपरित्याग तथा तपस्या आदि २१ द्वारों का उल्लेख। तीर्थंकरों को संबोध और सांवत्सरिक महादान। तीर्थंकरों को संबोध देने वाले देव। सांवत्सरिक दान कब, कितना और कहां? कितने तीर्थंकरों का राज्याभिषेक? कुमारवास में प्रव्रजित तीर्थंकरों का उल्लेख। कितने तीर्थंकर चक्रवर्ती तथा कितने मांडलिक राजा? कौन से तीर्थंकर कितने व्यक्तियों के साथ अभिनिष्क्रान्त। प्रथम तथा अंतिम वय में प्रव्रजित तीर्थंकरों का नामोल्लेख। सभी तीर्थंकर एक दूष्य से प्रव्रजित । प्रव्रज्या के समय तीर्थंकरों की तपस्या। तीर्थंकरों के अभिनिष्क्रमण का स्थान। तीर्थंकरों के अभिनिष्क्रमण का काल। कुमारावस्था में प्रव्रजित तीर्थंकरों के अतिरिक्त सभी तीर्थंकरों द्वारा अब्रह्म सेवन का उल्लेख। तीर्थंकरों की विहारभूमि। तीर्थंकरों का परीषहविजय एवं अभिनिष्क्रमण के समय नवपदार्थ का ज्ञान। प्रथम तीर्थंकर के द्वादशांग तथा शेष तीर्थंकरों के एकादशांग श्रुत की उपलब्धि, प्रथम एवं अंतिम तीर्थंकर के पांच महाव्रत तथा शेष के चतुर्याम। १५७. १५८. १५९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001927
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages592
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_aavashyak
File Size11 MB
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