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________________ आवश्यक नियुक्ति १९७ २३५,२३६. शेष ग्यारह चक्रवर्ती ये होंगे-सगर, मघवा, सनत्कुमार, शांति, कुन्थु, अर, सुभूम, महापद्म, हरिषेण, जय और ब्रह्मदत्त। २३६/१,२. चौबीस तीर्थंकरों का वर्ण-विभाग इस प्रकार है ० पद्मप्रभ तथा वासुपूज्य-रक्त वर्ण। ० चन्द्रप्रभ तथा पुष्पदंत-चन्द्रमा की भांति गौर वर्ण। ० मुनिसुव्रत तथा नेमि-कृष्ण वर्ण। ० पार्श्व और मल्लि-प्रिंयगु के समान आभा वाले (विनील)। ० शेष सोलह तीर्थंकर-शुद्ध और तप्त कनक की भांति स्वर्णाभ। २३६/३-५. तीर्थंकरों का देह-परिमाण इस प्रकार जानना चाहिए१. ५०० धनुष्य ९. १०० धनुष्य १७. ३५ धनुष्य २. ४५० धनुष्य १०. ९० धनुष्य १८. ३० धनुष्य ३. ४०० धनुष्य ११. ८० धनुष्य १९. २५. धनुष्य ४. ३५० धनुष्य १२. ७० धनुष्य २०. २० धनुष्य ५. ३०० धनुष्य १३. ६० धनुष्य २१. १५ धनुष्य ६. २५० धनुष्य १४. ५० धनुष्य २२. १० धनुष्य ७. २०० धनुष्य १५. ४५ धनुष्य २३. ९ रनि ८. १५० धनुष्य १६. ४० धनुष्य २४. ७ रनि २३६/६. मुनिसुव्रत तथा अर्हत् अरिष्टनेमि गोतम गोत्रीय तथा शेष तीर्थंकर काश्यपगोत्री थे। २३६/७-१४. ऋषभ आदि तीर्थंकरों की जन्मभूमि तथा माता-पिता के नाम इस प्रकार हैंतीर्थंकर जन्मभूमि पिता ऋषभ इक्ष्वाकुभूमि-विनीता मरुदेवा नाभि अजित अयोध्या विजया संभव श्रावस्ती सेना जितारि अभिनंदन विनीता सिद्धार्था संवर सुमति कौशलपुर मंगला पद्म कौशाम्बी सुसीमा सुपार्श्व वाराणसी पृथ्वी प्रतिष्ठ चन्द्रानन लक्ष्मणा महासेन सुविधि काकन्दी रामा सुग्रीव १०. शीतल भद्दिलपुर नंदा दृढरथ श्रेयांस विष्णु विष्णु माता जितशत्रु मेघ धर चन्द्र सिंहपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001927
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages592
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_aavashyak
File Size11 MB
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