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१७६ - १७८. तीर्थंकरों के गणों की संख्या इस प्रकार हैं
तीर्थंकर
तीर्थंकर
१. ऋषभ २. अजित
गण
३५
३३
२८
१८
१७
११
१०
९
१७९. भगवान् महावीर के नौ गण और ग्यारह गणधर थे। शेष सभी तीर्थंकरों के जितने गण थे, उतने ही गणधर थे।
३. संभव
४. अभिनंदन
५. सुमति
६. पद्म
७. सुपार्श्व
८. चन्द्रप्रभ
गण
८४
९५
१०२
११६
१००
१०७
९५
९३
१. ऋषभ
२. अजित
९. सुविधि
३. संभव
४. अभिनंदन
५. सुमति
६. पद्म
७. सुपार्श्व
८. चन्द्रप्रभ
९. सुविधि १०. शीतल
११.
१२. वासुपूज्य
१०. शीतल
११. श्रेयांस
१२. वासुपूज्य
१३. विमल
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१४. अनन्त
१५. धर्म
१६. शांति
१८२ - १८६. तीर्थंकरों का दीक्षा-पर्यायकाल इस प्रकार रहा
१ लाख पूर्व
१ पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व
१८०. धर्म का उपाय है- प्रवचन अर्थात् द्वादशांग अथवा पूर्व । सभी तीर्थंकरों के जितने गणधर तथा चतुर्दशपूर्वी होते हैं, वे प्रवचन के देशक होते हैं ।
१८१. सामायिक आदि चारित्र, चार या पांच महाव्रत, षड्जीवनिकाय तथा भावना - इन प्राथमिक धर्मोपायों का सभी तीर्थंकरों ने उपदेश दिया।
गण
८८
४ पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व
८ पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व
८१
७२
६६
५७
५०
४३
३६
१२ पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व
१६ पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व
२० पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व
२४ पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व
२८ पूर्वांग न्यून एक लाख पूर्व २५ हजार पूर्व
२१ लाख वर्ष
५४ लाख वर्ष
आवश्यक नियुक्ति
तीर्थंकर
१७. कुन्थु
१८. अर
१९. मल्लि
२०. मुनिसुव्रत
२१. नमि
२२. अरिष्टनेमि
२३. पार्श्व
२४. महावीर
१३. विमल
१४. अनन्त
१५. धर्म
१६. शांति
१७. कुन्थु
१८. अर
१९. मल्लि
२०. मुनिसुव्रत
२१. नमि
२२. नेमि
२३. पार्श्व
२४. महावीर
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१५ लाख वर्ष
७1⁄2 लाख वर्ष
२1⁄2 लाख वर्ष
१. आवचू १ पृ. ३३७ ; अकंपियअयलभातीणं एगो गणो । मेयज्जपभासाणं एगो गणो- गणधर अकंपित और अचलभ्राता तथा गणधर मेतार्य और प्रभास-इन दोनों का एक-एक गण था ।
२५००० वर्ष
२३७५० वर्ष
२१००० वर्ष
५४९०० वर्ष
७५०० वर्ष
२५०० वर्ष
७०० वर्ष
७० वर्ष
४२ वर्ष
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