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आवश्यक नियुक्ति
१३३
५७६.
५७७.
५७८.
५७९.
सम्मत्त-णाण-दसंण, संजय-उवओगओ य आहारे। भासग-परित्त-पज्जत्त, सुहुमे सण्णी य भव-चरिमे॥ पलियासंखिजइमे, पडिवन्नो हुज खेत्तलोगस्स। सत्तसु चउदसभागेसु, होज फुसणा वि एमेव॥ एगं पडुच्च हेट्ठा, जहेव नाणाजियाण सव्वद्धा। अंतर पडुच्च एग', जहन्नमंतोमुहुत्तं तु ॥ उक्कोसेणं चेयं", अद्धापरियट्टओ उ देसूणो । णाणाजीवे नत्थि उ, 'भावे य भवे" खओवसमे ॥ जीवाणऽणंतभागो, पडिवण्णो सेसगा अणंतगुणा। वत्थु तऽरिहंताई", पंच भवे तेसिमे हेतू'२ ॥ आरोवणा य भयणा, पुच्छण तह दायणा'५ य निज्जवणा। ‘नमुकार ऽनमुक्कारे '१६, नोआइजुए व नवहा वा॥ मग्गे अविप्पणासो, आयारे विणयया८ सहायत्तं । पंचविधनमुक्कारं, करेमि एतेहि हेऊहिं॥ 'अडवीय देसियत्तं '२०, तहेव निजामगार समुद्दम्मि। छक्कायरक्खणट्ठा, महगोवा तेण वुच्चंति२२ ॥
५८०.
५८०/१.
५८१.
५८२.
१. संजम (स्वो ६५४/३४५०)। २. पलियमसंखेजइमो (महे), पलितअसंखेजतिमो (स्वो ६५५/३४५१)। ३. तहेव (ब, म, स, हा, दी)। ४. सव्वट्ठा (ब)। ५. मेगं (महे, म)। ६. स्वो ६५६/३४५२। ७. चेवं (म)। ८. महे और स्वो में गाथा का पूर्वार्द्ध इस प्रकार है
उक्कोसणंतकालं, अद्धापरियट्टगं च देसूणं। ९. भवे य भावे (ब, स)। १०. स्वो ६५७/३४५३। ११. अरहं (अ, ब), अरहताइ (म), तऽरिहंताइ (हा, दी)। १२. स्वो ६५८/३४५४। १३. आरोयणा (महे)। १४. पुच्छा (हा, दी)। १५. दावणा (म)।
१६. नमुक्कारऽनमोकारो (म)। १७. महे (२९२७) और स्वो (३४५७) में गाथा का उत्तरार्ध इस प्रकार है
एसा वा पंचविधा, परूवणाऽऽरोवणा तत्थ।
यह गाथा सभी हस्तप्रतियों में मिलती है। हा, म और दी में यह नियुक्तिगाथा के क्रम में है। स्वो और महे में यह भाष्यगाथा के क्रम में है। वस्तुतः यह गाथा व्याख्यात्मक होने से भाष्यगाथा ही है। विषयवस्तु की दृष्टि से ५८० वीं गाथा ५८१ के साथ सीधी जुड़ती है। इसको नियुक्तिगाथा मानने से विषयवस्तु में व्यवधान
सा प्रतीत होता है। १८. विणया (ब)। १९. स्वो ६५९/३४७४। 20. वीए देसि' (चू), देसयत्तं (महे)। २१. णिजामकं (चू)। २२. स्वो ६६०/३४८९।
१८.
१/३४७४
सयतं (मह)
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