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________________ ४८ श्री कवि किशनसिंह विरचित अदत्तादान व्रतके अतिचार छन्द चाल चोरी करनेकी बात, सिखवावे औरनि घात । जावो परधनके काज, लावो इस विधि बलि साज ॥३०॥ कोऊ चोरी कर ल्यावे, बहुमोली वस्तु दिखावे । ताको तुच्छमोल जु देहै, 'बहु धनकी वस्तु सु लेहै ॥३०२॥ कपडो मीठो अरु धान, लावे बेचैं ले आन । तिनको हासिल नहि देई, नृप आज्ञा २एम हनेई ॥३०३॥ जो कहुं नरपति सुन पावै, तिहि बांध वेग मंगवावे ।। घर लूट लेइ सब ताको, फल इह आज्ञा हणिवाको ॥३०४॥ गज हाथ पंछेरी बांट, जाणो इह मान निराट । चौपाई पाई दे वाणी, सोई मानी परमाणी ॥३०५॥ इनको लखिये उनमान, तुलिहै मपिहै बहु वान ।। ओछो दे अधिको लेई, अपनो शुभ ताको देई ॥३०६॥ उपजावै बहुतै पाप, दुरगतिमें लहै संताप । केसर कसतूरि कपूर, नानाविध अवर जकूर ॥३०७॥ आगे अदत्तादान व्रतके अतिचार कहते हैं :- जो लोगोंको चोरी करना सिखलाता है, जाओ पराया धन हरकर लाओ, इस विधिसे लाओ आदि शिक्षा देकर दूसरोंको चोरीके लिये प्रेरित करता है वह स्तेनप्रयोग नामका अतिचार लगाता है ॥३०१॥ कोई अन्य मनुष्य चोरी कर आता है तथा बहुमूल्यकी वस्तु दिखाता है, उसे तुच्छ मूल्य देकर बहुमूल्य वस्तुको ले लेता है यह तदाहृतादान नामका अतिचार है ॥३०२॥ कोई कपड़ा, नमक तथा अनाज आदि लाकर बेचते हैं परन्तु उसका कर (टेक्स) नहीं देते; इस तरह राजाकी आज्ञाका घात करते हैं, यह राजाज्ञा-विलोप नामका अतिचार है ॥३०३॥ यदि कहीं राजा इस बातको सुनता है तो वह अपराधीको पकड़कर बुलवाता है और उसका सब घर लूट लेता है। यह राजाज्ञा भंग करनेका फल है ॥३०४॥ गज, हाथ, पंसेरी आदि बाँट इन्हें मान कहते हैं। और चौपाई, पाई, दो पाई, मानी तथा परमानीको उन्मान कहते हैं। इनसे वस्तुओंको तोलकर या नापकर बेचा जाता है सो देते समय हीन मानोन्मानसे देना और लेते समय अधिक मानोन्मानसे लेना यह हीनाधिक मानोन्मान नामका अतिचार है। इस अतिचारको लगाने वाला मनुष्य अपना पुण्य दूसरेको देता है और स्वयं पापका उपार्जन कर दुर्गतियोंमें संतापको भोगता है। केसर, कस्तुरी, कपूर, नाना १ वा नरकी स० २ भंग करेई स० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
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