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________________ (६) ग्रंथके रचनाकालको सूचित करनेवाले छन्दोंसे ज्ञात होता है कि यह ग्रंथ ढुंढाहर देशके सांगानेर शहरमें जबकि जयसिंह सवाई महाराजका शासनकाल चल रहा था, संवत् १७८४ की भाद्रपद शुक्ला पूर्णिमा, दिन रविवारको पूर्ण हुआ । ' ग्रंथकारकी कुछ अन्य रचनाएँ भी प्रकाशमें आ चुकी है जो निम्नलिखित है (१) भद्रबाहुचरित्र, रचनाकाल वि० संवत् १७८५ (२) रात्रि भोजन त्याग व्रतकथा, रचनाकाल वि० सं० १७७३ ग्रंथ परिमाणके विषयमें भिन्न-भिन्न प्रतियोंमें अलग-अलग परिमाण उपलब्ध होते हैं । अतः मूलपरिमाणका निर्णय असम्भव प्रतीत होता है । इसलिये आवश्यक छन्दोंका उल्लेख पाद-टिप्पणमें किया गया है। वैसे इस ग्रंथके अन्दर ग्रंथकारने १७ प्रकारके छन्दोंका प्रयोग किया है जिनकी संख्या हम ग्रंथकार द्वारा लिखित छन्द एवं प्रस्तुत ग्रंथमें उपलब्ध छन्दोंकी तुलनामें दे रहे हैं जो कि निम्नानुसार है छन्दका नाम १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १. देखिये Jain Education International दोहा सवैया इकतीसा मरहठा चाल चौपाई छप्पय पद्ध सोरठा अडिल्ल नाराच गीता कुण्डलिया सवैया तेईसा द्रुतविलम्बित भुजंगप्रयात ग्रंथमें उल्लिखित छन्दोंका परिमाण त्रोटक त्रिभंगी उक्तं च ( गाथा एवं श्लोक ) प्रस्तुत २५४ ३५ ५ ६२० ७९२ २६ ३५ १३ ७२ ८ १० ३ ६ ४ ८ ३ ९ १२ १९१५ ग्रंथके पृष्ठ ३१२-३१३ छन्द संख्या १९२८ For Private & Personal Use Only प्रस्तुत ग्रंथ में उपलब्ध छन्दोंका परिमाण २५६ ३७ ५ ६२३ ७९८ २६ ३५ ८० १६ ७३ ९ १० ३ ६ ४ ८ ३ ९ १४ १९३५ www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
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