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श्री कवि किशनसिंह विरचित निर्वाण कल्याणक व्रत
पद्धरी छन्द आसाढ विमल आठे असेत, सुदि साते शिव नेमी सहेत । सावण सुदि सातै पार्श्वनाथ, पून्यों श्रेयांस लहि मोक्ष साथ ॥१८५०॥ भादों सुदि आठे पुहपदंत, जिन वासुपूज्य चौदस नमंत । सीतल जिन आठे सित कुंवार, कातिक मावस भव वीर पार ॥१८५१॥ वदि महाचतुर्दशि वृषभनाम, पद्मप्रभु फागुन चौथ श्याम । सातै सुपार्श्व शिव लहिय धीर, चंद्रप्रभु सातै त्रिजगतीर ॥१८५२॥ वदि बारसि मुनिसुव्रत बखाण, सुदि पांचै मल्लि जिनेश जाण । वदि चैत मावसी नंतनाथ, इस वासर अर जिन मोक्ष साथ ॥१८५३।। सुदि पांचै शिव जिन अजित पाय, सुदि छठ संभव निर्वाण थाय । सुदि ग्यारसि सुमति सुमोक्ष धीर, नमि वदि चौदस वैशाख तीर ॥१८५४॥ सदि एकै शिव-दिन कंथ जाण, अभिनंदन छठ निर्वाण ठाण । वदि चौदसि जेठ सुशांतिनाथ, सुदि चौथ धर्म शिव कियो साथ ॥१८५५॥
दोहा कल्याणक निर्वाणकी, तिथि चौबीस विचार । कही जेम भाषी तिसी, उत्तर पुराण मझार ॥१८५६॥
निर्वाण कल्याणककी तिथियाँ-अषाढ वद अष्टमी विमलनाथकी, आषाढ़ सुद सप्तमी नेमिनाथकी, श्रावण सुद सप्तमी पार्श्वनाथकी, श्रावण सुद पूर्णिमा श्रेयांसनाथकी, भादों सुद अष्टमी पुष्पदन्तकी, भादों सुद चतुर्दशी वासुपूज्यकी, कुंवार सुद अष्टमी शीतलनाथकी, कार्तिक वद अमावास्या महावीरकी, माघ वद चतुर्दशी ऋषभनाथकी, फागुन वद चतुर्थी पद्मप्रभकी, फागुन वद सप्तमी सुपार्श्वनाथकी, फागुन वद सप्तमी चन्द्रप्रभकी, फागुन वद द्वादशी मुनिसुव्रतनाथकी, फागुन सुद पंचमी मल्लिनाथकी, चैत्र वद अमावास्या अनन्तनाथकी, चैत्र वद अमावास्या अरनाथकी, चैत्र सुद पंचमी अजितनाथकी, चैत्र सुद षष्ठी संभवनाथकी, चैत्र सुद एकादशी सुमतिनाथकी, वैशाख वद चतुर्दशी नमिनाथकी, वैशाख सुद पडिवा कुन्थुनाथकी, वैशाख सुद षष्ठी अभिनन्दननाथकी, जेठ वद चतुर्दशी शांतिनाथकी और जेठ सुद चतुर्थी धर्मनाथकी निर्वाणकल्याणककी तिथि है ॥१८५०-१८५५।।
निर्वाण कल्याणककी चौबीस तिथियोंका विचार, उत्तर पुराणमें जैसा कहा गया है तदनुसार किया है ।।१८५६॥
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